दोस्तों अगर आप सरल शब्दों में समझाना चाहते हैं कि साइकोलॉजी एक व्यवस्थित विज्ञान है। जिसके द्वारा किसी व्यक्ति, पशु, पक्षी, के व्यवहार के बारे में अध्ययन किया जाता है। इसमें उनकी मानसिक परेशानियां स्थितियों के बारे में जानकारी एकत्रित की जाती है। इस क्षेत्र में व्यवहार, विचार, मानसिक बीमारियों का परीक्षण किया जाता है।
आसान भाषा में कहा जाए तो साइकोलॉजी व्यवहार और मानसिक प्रक्रियाओं का वैज्ञानिक अध्ययन है। साइकोलॉजी के माध्यम से मानसिक की गतिविधियों पर ध्यान दिया जाता है, तथा तनाव जैसी बीमारियों से बाहर लाने के उपाय का खोजा जाता है, वर्तमान समय में साइकोलॉजी बहुत ही विकसित हो चुकी है और डिप्रेशन और एंग्जायटी, अनेक प्रकार के डिसऑर्डर, फोबिया जैसी मानसिक बीमारियां के उपचार पर कार्य किया जा रहे हैं मनोविज्ञान काफी हद तक इस तरह की मानसिक स्थितियों को समझ चुके हैं।
वैसे तो इसे परिभाषित करना इतना आसान नहीं है लेकिन इसके कार्य क्षेत्र एवं स्वरूप यदि आप जान ले, तो इसे समझना आसान हो जाता है। मनोविज्ञान के प्रमुख तीन प्रकार क्षेत्र है। शिक्षण (Teaching), शोध (Research), तथा उपयोग (application)
इन कार्य क्षेत्र को और आसानी से समझने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप यह जाने की मनोवैज्ञानिक की श्रेणी क्या है? श्रेणी वह है जिससे आपको अज्ञात होता है की मनोवैज्ञानिक क्या चाहते हैं उनके द्वारा किए जाने वाले कार्यों के आधार पर उन्हें तीन श्रेणी में बांटा गया है।
- प्रथम श्रेणी में मनोवैज्ञानिक आते हैं जो शिक्षण कार्य में सरलांग है आणि मनोविज्ञान से जुड़ी शिक्षा प्रदान करते हैं।
- द्वितीय श्रेणी में मनोवैज्ञानी मनोवैज्ञानिक समस्याओं पर शोध करते हैं।
- तृतीय श्रेणी में मनोविज्ञानों द्वारा मनोवैज्ञानिक अध्ययनों के प्राप्त तत्वों के आधार पर कुशलों एवं तकनीक का उपयोग वास्तविक स्थिति में किया जाता है।
Psychology शब्द ग्रीक भाषा के हैं। Psyche तथा Logos से बना है जिसमें Psyche का अर्थ आत्मा या दिमाग होता है तथा Logos का मतलब अध्ययन करना है। साइकोलॉजी के स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यवसाय और कानून से जैसे क्षेत्रों में अपना प्रभाव डाला है। साइकोलॉजी का उपयोग मनोवैज्ञानिक अस्पतालों में रोगियों की मदद करने के लिए स्कूलों में सीखने की क्षमता वाले छात्रों की मदद करने के लिए, कर्मचारियों के प्रदर्शन के सुधार के लिए वह कानूनी क्षेत्र में किया जा रहा है। साइकोलॉजी को कई क्षेत्र में विभाजित किया गया है। इनमें से प्रमुख क्षेत्र के बारे में हमने आगे चर्चा किए हैं।
साइकोलॉजी फैक्ट्स क्या होता है?
Psychology Facts In Hindi: मनोविज्ञान एक ऐसा साइंस है, जो हमारे मन को और हमारी आदतों को जोड़ता है। इसके अंतर्गत मानवीय विभाग और उसकी प्रतिक्रियाओं का विस्तार से अध्ययन किया जाता है। मन वास्तव में आपके मस्तिष्क आपके शरीर और आसपास की दुनिया का सतत् निर्माण है।
जैसा आप देखते हैं, सोचते हैं, महसूस करते हैं, और अपने आसपास की दुनिया की जिस रूप से करना चाहते हैं इन चीजों के बारे में आपकी धारणाओं को अवयवों से निर्मित होती है।
मनोविज्ञान तथ्य की कड़ियां से आप समझ पाएंगे, इंसान को कभी कुछ करने के लिए बहुत समझना पड़ता है तो कभी कुछ चीज अपने आप हो जाती है वह क्या होता है कुछ लोगों के पास प्राकृतिक अलार्म घड़ी होती है। जिससे वह जब चाहे तब जग सकते हैं यह प्राकृतिक तनाव सामंजस के कारण होता है।
साइकोलॉजी के प्रमुख क्षेत्र क्या हैं?
1. नैदानिक मनोविज्ञान (Clinical Psychology)
नैदानिक साइकोलॉजी मानसिक विकारों के निदान और उपचार से संबंधित है। नैदानिक मनोवैज्ञानिक व्यक्तियों, परिवारों और समूह के साथ काम करते हैं और मनोवैज्ञानिक समाज के मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला का भी आकलन करते हैं।
नैदानिक मनोविज्ञान में व्यक्तियों, जोड़ो, परिवारों और समूह के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर कार्य किया जाता है। यह प्रमुख रूप से मानसिक रोग, अपराध, मानसिक रोग, दुर्बलता, व्यसन, आपराधिक व्यवहार जैसी समस्या के निदान के लिए उपयोगी है।
2. विकासात्मक मनोविज्ञान (Development Psychology)
विकासात्मक साइकोलॉजी का संबंध व्यक्तियों में उनके जीवन के दौरान होने वाली परिवर्तनों से है। इसमें शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तन शामिल है, साथ ही या भी शामिल है कि लोग जीवन के विभिन्न चरणों में कैसे विकसित होते हैं। जिससे बच्चों में तथा बुजुर्गों में सोचने की क्षमता अलग-अलग होती है। हर उम्र में व्यक्ति की मानसिक क्षमताओं, व्यवहार आवश्यकता है भी अलग हो जाते हैं और जीवन के इस विकास के चरण में मानसिक रूप से आने वाले परिवर्तनों का अध्ययन विकासात्मक मनोविज्ञान के क्षेत्र में किया जाता है किशोरावस्था में मस्तिक का सबसे ज्यादा विकास होता है, यही वह उम्र होती है। जब युवाओं में शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा होती है, कई तरह के भावनात्मक परिवर्तन आते हैं, इन अवस्था में युवाओं में नशे की लत का खतरा बढ़ जाता है, बढ़ती जिम्मेदारियां और शरीर में आ रहे मानसिक तथा शारीरिक बदलाव का असर व्यवहार पर दिखने लगता है।
3. सामाजिक मनोविज्ञान (Social Psychology)
मनुष्य परिस्थिति के अनुसार व्यवहार करता है तथा इस व्यवहार को समझने के लिए ही मानसिक मनोविज्ञान का उपयोग किया जाता है। सामाजिक मनोविज्ञान आधुनिक होते युग के बदलता रहता है, क्योंकि समय के साथ लोगों का सामाजिक व्यवहार में परिवर्तित होता है समाज मनोविज्ञान व क्षेत्र है। जिसमें सामाजिक स्थिति में व्यक्ति के व्यवहार के कर्म को समझने की कोशिश की जाती है। सामाजिक साइकोलॉजी को संबंध समाज के दृष्टिकोण, समूह की गतिशीलता सामाजिक प्रभाव और सभी लोगों का आपस में किस प्रकार का संबंध है। इस विषय से हैं इसके कारण सुखद सामाजिक जीवन की स्थापना की जा सकती है, स्वास्थ्य औद्योगिक क्षेत्र, भेदभाव मुक्त सामाजिक समाज की स्थापना की जा सकती है। Social Psychology युद्ध सांप्रदायिक दंगों के कारणों को समझने में मददगार है और इन पर कार्य करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए सहायक है।
4. व्यक्तित्व मनोविज्ञान (Personality Psychology)
व्यक्तित्व मनोविज्ञान लोगों के व्यक्तित्व संबंधित है। जिसमें कई तरह के अध्ययन शामिल है जैसे लोग एक दूसरे से किस प्रकार विभिन्न होते हैं, सभी लोगों में पाया जाने वाला समान व्यवहार क्या है आदि इस प्रकार के अध्ययन में मनोभावों को समझा जाता है। यह हमें यह जानने में मदद कर होता है कि व्यक्ति किन कारकों से प्रभावित होता है तथा वातावरण का उसके व्यक्तित्व पर किस प्रकार प्रभाव पड़ता है। व्यक्तित्व का निर्माण बचपन से ही प्रारंभ हो जाता है तथा एक समय पर आकर रुक जाता है व्यक्ति के व्यक्तित्व की पहचान बचपन में ही की जा सकती है। क्योंकि 10 से 12 साल की उम्र में व्यक्तित्व का निर्माण हो जाता है। व्यक्तित्व मनोविज्ञान इसीलिए जरूरी है क्योंकि यह हमें व्यक्ति की मानसिक स्थिति और व्यवहार को समझने में मदद करता है।
5. न्यूरोसाइकोलॉजी (Neuropsychology)
न्यूरोसाइकोलॉजी का संबंध मस्तिष्क की तंत्रिका तंत्र से है। इसमें मस्तिष्क की छाती व्यवहार को कैसे प्रभावित करती है और साथ ही व्यवहार में न्यूरोट्रांसमीटर और जैविक क्रियाओं की भूमिका का अध्ययन किया जाता है। तंत्रिका तंत्र, मस्तिष्क, अंग और लोगों के व्यवहार के बीच संबंध का अध्ययन भी किया जाता है। दिमाग में किसी भी प्रकार की आक्षमता, विकार या बीमारी का असर किस प्रकार एक व्यक्ति के जीवन और व्यवहार को प्रभावित करता है। इसके बारे में विस्तृत जानकारी न्यूरो साइकोलॉजी में पढ़ने के लिए मिल जाती है। जीव जंतुओं और मनुष्यों दोनों पर इस क्षेत्र में अध्ययन किया जाता है जीवो तथा मनुष्यों का मस्तिक अलग-अलग प्रकार से कार्य करता है। इसीलिए इस बात का ध्यान में रखना बहुत जरूरी है कि इस दोनों को अलग-अलग रूप से समझा जाए, और हो सके तो इन मेंसे केवल एक क्षेत्र का ही अध्ययन किया जाए।
6. फोरेंसिक मनोविज्ञान (Forensic Psychology)
फोरेंसिक साइकोलॉजी का संबंध साइकोलॉजी और कानूनी प्रणाली से संबंधित है। इसमें आपराधिक गतिविधियों, गवाही देना, आदि गतिविधियों को शामिल में रखा गया है। फोरेंसिक मनोवैज्ञानिक वकीलों विशेषज्ञों द्वारा न्यायाधीशों के साथ मिलकर काम करते हैं। फोरेंसिक मनोविज्ञान उन अपराधियों के लिए भी जरूरी है जो जेल में रह रहे हैं तथा किसी प्रकार के मानसिक विकार से गुजर रहे हैं। उनकी मानसिक स्थिति को सामान करने तथा उनके इस विकार को उपचार करने के लिए फोरासिक मनोविज्ञान का उपयोग किया जाता है। अपराधों के कर्म को समझने तथा उन्हें काम करने के लिए फोरेंसिक मनोविज्ञान जरूरी है, यह हमें समझने की मदद करता है कि कोई भी व्यक्ति अपराध क्यों करता है तथा किसी भी प्रकार के कानून को तोड़ने में उसे किस तरह का प्रकार का अनुभव होता है।
7. शैक्षिक मनोविज्ञान (Educational Psychology)
शैक्षिक साइकोलॉजी का संबंध व्यक्ति के शैक्षिक विकास से हैं। इसमें इंसानों के सीखने के तरीके, याद रखने की क्षमता तथा शिक्षा का मानव के मस्तिष्क पर किस तरह प्रभाव पड़ता है यह शामिल है। शैक्षिक मनोविज्ञान के अंतर्गत यह समझा जाता है कि किस तरह भाषा और लेखन को सीखा जाता है तथा मनुष्य किस तरह बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक सीखता रहता है। साथ ही यह विज्ञान मानव प्रतिक्रियाओं के शिक्षक और सीखने को प्रभावित वैज्ञानिक दृष्टि से विभक्ति सिद्धांतों के अनुप्रयोग को प्रतिनिधित्व करता है। यह विज्ञान को सीखने, सीखने के सिद्धांतों और वीडियो से अवगत करवाता है इस विज्ञान का प्रयोग करके शिक्षा के क्षेत्र को और भी विकसित किया जा सकता है तथा क्रांतिकारी परिवर्तन ले जा सकते हैं।
8. स्वास्थ्य मनोविज्ञान (Health Psychology)
स्वास्थ्य साइकोलॉजी में मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य पर किस प्रकार का प्रभाव होता है इस विषय का अध्ययन किया जाता है। जिसमें मनुष्य के आहार व्यायाम वातावरण का मानसिक स्थिति पर प्रभाव पादना शामिल है। तथा किसी भी स्थिति में इनका मानव शरीर पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े, और निदान किया जा सके इन बातों को अध्ययन किया जाता है। एक स्वस्थ मनोवैज्ञानिक का कार्य होता है कि वह स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के साथ-साथ बीमारी और बीमारी की रोकथाम के लिए कम करें, स्वस्थ और प्रभावित करने वाले मनोवैज्ञानिक कारकों को समझ कर उन्हें सही तरह से लागू करने का कार्य में इस शाखा में किया जाता है।
निष्कर्ष!
तो दोस्तों उम्मीद करते हैं कि आपको अच्छे से समझ में आ गया होगा कि Psychology In Hindi या साइकोलॉजी का मतलब क्या होता है? अगर अभी भी इस लेख से संबंधित अगर आपके मन में कोई भी सवाल है तो आप हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं।
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